A SIMPLE KEY FOR SHIV CHALISA LYRICS UNVEILED

A Simple Key For shiv chalisa lyrics Unveiled

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श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है।

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अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ की खाल के वस्त्र भी आपके तन पर जंच रहे हैं। आपकी छवि को देखकर नाग भी आकर्षित होते हैं।

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

अर्थ- हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों check here से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

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